विनय-पत्रिका-सार सटीक
प्रभु प्रेमियों ! निज विचारों और अनुभवों से भरा हुआ है . गो. तुलसीदास जी महाराज योग , वैराग्य , ज्ञान और भक्ति को प्रेम के अत्यन्त मधुर रस में पागकर बने हुए अत्युत्तम मोदक ' विनय - पत्रिका ' में भरे पड़े हैं , जो भव - रोगों से ग्रसित दुर्बल और आत्म - बलहीन जीवों के लिए अत्यन्त पुष्टिकर हैं ।
गुरुदेव साहित्य 'MS03 . वेद दर्शन - योग' के लिए
प्रभु प्रेमियों ! 'विनय - पत्रिका ' गोसाईं तुलसीदासजी महाराज का अन्तिम ग्रंथ है । यह उनके निज विचारों और अनुभवों से भरा हुआ है । गोसाईंजी महाराज ने ' रामचरितमानस ' को ' सद्गुरु ज्ञान विराग जोग के ' कहकर उसे योग का सद्गुरु बतलाया है । यदि . ग्रंथकर्ता स्वयं योग का सद्गुरु न हो , तो उनका ग्रंथ योग का सद्गुरु कैसे हो सकता है ? गोस्वामीजी महाराज योग के सद्गुरु थे , इस बात को उनकी ' विनय - पत्रिका ' भली भाँति सिद्ध कर देती है । योग , वैराग्य , ज्ञान और भक्ति को प्रेम के अत्यन्त मधुर रस में पागकर बने हुए अत्युत्तम मोदक ' विनय - पत्रिका ' में भरे पड़े हैं , जो भव - रोगों से ग्रसित दुर्बल और आत्म - बलहीन जीवों के लिए अत्यन्त पुष्टिकर हैं । गोस्वामीजी महाराज प्राचीन काल के नारद , सनकादिक और परम भक्तिन शबरी की तरह के और आधुनिक काल के कबीर साहब और गुरु नानक इत्यादि संतों की तरह के भक्ति की चरम सीमा तक पहुँचे हुए , योग और ज्ञानयुक्त भक्ति में परिपूर्ण और निर्मल सन्त थे । ऐसे सन्त के अन्तिम ग्रन्थ में उनकी अन्तिम गति का भाव अवश्य ही वर्णित होगा । इसी भाव को जानने और उसे संसार के सामने प्रकाश करने के लिए यह ' विनय - पत्रिका - सार सटीक ' लिखने का मैंने प्रयास किया है । इससे गोस्वामीजी महाराज की अन्तिम गति का और उस गति तक पहुँचने के मार्ग का पता लग जाता है । इस मार्ग को जानकर यदि मनुष्य इसपर चले , तो अन्त में गोस्वामीजी महाराज की तरह परम कल्याण पा सके । मनुष्य के लिए इससे बढ़कर लाभ दूसरा नहीं हो सकता ।
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MS05 श्रीगीता-योग-प्रकाश ।। गीता में फैले भ्रामक विचारों का महर्षि मेंहीं द्वारा प्रमाणिक निराकरण की अद्भुत पुस्तक. इसके बारे में विशेष जानकारी के लिए 👉 यहां दबाएं.
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MS04 विनय-पत्रिका-सार सटीक ।। गो. तुलसी दासजी की साधना-पद्धति और साधनात्मक गति की बातें
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
नवंबर 10, 2021
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