मोक्षपर्यंत ध्यानाभ्यास

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संतमत के महान साधक एवं लेखक शंकर स्वामी जी महाराज के अनमोल साहित्य एवं उनका परिचय

श्रीशंकर स्वामी साहित्य परिचय

     प्रभु प्रेमियों ! आदरणीय स्वामी श्रीशंकर बाबा संतमत सत्संग के विद्वान् युवा संन्यासी हैं। ये बड़े ही सरल, नम्र और सहनशील हैं। ये ध्यानाभ्यास और स्वाध्याय के बड़े प्रेमी हैं। ये अच्छा बोलते भी हैं और लिखते भी हैं। ये अध्यात्म के गंभीर विचारक हैं। इनके विचारों में बड़ी मार्मिकता होती है।  सत्संग-सभा-मंच का संचालन भी ये बड़ी बुद्धिमत्तापूर्वक किया करते हैं। स्वामी शंकर बाबा ने अबतक  ग्यारह (11) पुस्तकें लिखी हैं। आइये इनके प्रकाशित 11 पुस्तकों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं--

स्वामी शंकर साहित्य, शंकर साहित्य सूची,
स्वामी शंकर साहित्य

1. संतमत दर्शन

     आदरणीय स्वामी श्रीशंकर बाबा के द्वारा लिखित एवं संपादित 'संतमत दर्शन' सामान्य ग्रंथ नहीं है। आकार और विषय-वस्तु की दृष्टि से भी इसे ग्रंथराज कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। संतमत सत्संग संस्था में अबतक ऐसे ग्रंथ की रचना नहीं की गई है।

संतमत दर्शन,
संतमत दर्शन

     प्रस्तुत ग्रंथ में संतमत के प्रायः विषय व्याख्यायित होकर आ गये हैं। संतमत के प्रमुख विषय ये हैं- ईश्वर तथा जीव का स्वरूप, प्रकृति, सृष्टिक्रम, भक्ति, गुरु-महिमा, साधना-पद्धतियाँ, साधना-पद्धतियों की अनुभूतियाँ, परम मोक्ष, मनुष्य-शरीर की श्रेष्ठता, कर्म-सिद्धांत, सत्संग की महिमा, सदाचार तथा शुच्याचार, जीवन जीने की कला, जीवन तथा जगत् की नश्वरता आदि-आदि। इस ग्रंथ के पढ़ने पर पाठकों को संतमत का सम्यक् रूप से ज्ञान हो जाएगा। प्रवचनकर्ताओं के लिए तो यह ग्रंथ विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।

संतमत दर्शन लास्ट कवर पृष्ठ, शंकर स्वामी जी के ग्रंथ, प्रथम रचना,
संतमत दर्शन लास्ट पृष्ठ

      इन्होंने लगभग दो वर्षों तक कठिन श्रम करके इस ग्रंथ का प्रणयन किया है। इस ग्रंथ में उद्धृत दुर्लभ शास्त्रों के वचन इस ग्रंथ की गुरुता बढ़ाते हैं। ग्रंथ की भाषा बड़ी सरल है, जिसे कम पढ़े-लिखे लोग भी अच्छी तरह समझ पाएँगे। इस ग्रंथ से संतमत-साहित्य का भंडार विशेष रूप से समृद्ध हुआ है। ऐसे विलक्षण ग्रंथ को सभी जागरूक सत्संगियों को संग्रहित  करना चाहिए। 


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संतमत दर्शन,
संतमत दर्शन


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2. संतमत दर्पण

   प्रभु प्रेमियों ! 'संतमत दर्पण' पूज्य शंकर बाबा द्वारा लिखित इनकी दूसरी पुस्तक है । यह पुस्तक अपने आपमें निराली है । पाठक इसे पढ़कर बहुत लाभान्वित होंगे । संतमत सत्संग के संबंध में उन्हें पूरी जानकारी मिलेगी । संतमत सत्संग का इतिहास , संतमत की साधना - पद्धतियाँ , संतमत की आचार संहिताएँ , संतमत में गुरु की महत्ता आदि निबंध इसमें संकलित हैं ।  ये सब बिषय धर्म प्रेमियों के बीच लोकप्रिय है ।

संतमत दर्पण, प्रथम कवर पृष्ठ,
संतमत दर्पण

संतमत दर्पण  लास्ट कवर पृष्ठ,
संतमत दर्पण

'सन्तमत : दर्पण' पुस्तक संतमत के समग्र विषयों का सार संग्रह है। इसमें जीव, ब्रह्म, मोक्ष आदि विषयों के साथ-साथ उसकी प्राप्ति के साधनों की सरल एवं विद्वत्तापूर्ण व्याख्या है। ऐसे विलक्षण ग्रंथ को सभी जागरूक सत्संगियों को संग्रहित करना चाहिए। 


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स्वामी शंकर जी की तीसरी रचना है-

3. सुख की खोज

     प्रभु प्रेमियों  !  'सुख की खोज'  पुस्तक में इन्होंने बताया है कि हमारे दुःखों का कारण क्या है और उस कारण का निवारण कैसे हो सकता है ? वास्तव में इच्छा ही हमारे दुःखों का कारण है । जब कोई इच्छा हमें पकड़ती है , तो अपनी पूर्ति कराये बिना नहीं छोड़ती । जबतक इच्छा पूरी नहीं हो पाती , तबतक मनुष्य तनाव का अनुभव करता रहता है । इच्छा - पूर्ति के मार्ग में किसी के द्वारा बाधा पहुँचायी जाने पर हममें क्रोध जग जाता है । यह क्रोध ही हमारे विनाश का कारण बनता है । जिस इच्छा को पकड़कर हम जन्म - जन्मान्तर से संसार में रहते आ रहे हैं , उसे छोड़ पाना आसान नहीं । उसे छोड़ पाने की इच्छा रखनेवाले को विचार और योगाभ्यास - दोनों का सहारा लेना पड़ता है । यदि कोई मनुष्य जिस समय अपनी सारी इच्छाओं को छोड़ देगा , उसी समय वह मुक्त हो जाएगा - ऐसा संतों का कथन है । इसमें इन्हीं सब बातों के विशेष रूप से चर्चा की गई है। ऐसे विलक्षण ग्रंथ को सभी जागरूक सत्संगियों को संग्रहित करना चाहिए। 

सुख की खोज, शंकर स्वामी की तीसरी रचना का प्रथम कवर पृष्ठ,
सुख की खोज

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सुख की खोज
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स्वामी शंकर जी की चौथी रचना है-

4. मैं कौन हूँ ? 

     प्रभु प्रेमियों  !  "मैं कौन हूँ ?" पुस्तक में आत्मस्वरूप-विषयक ज्ञान पर ही चर्चा की गयी है । 'आत्मा' , 'आत्मा : उसके बंधन तथा मुक्ति', ' आत्मा , प्रकृति तथा परमात्मा', ' आत्मा का स्वरूप और लक्ष्य ' आदि ही प्रस्तुत पुस्तक का विचारणीय विन्दु है । आत्मानुभूति ही वस्तुतः धर्म है । अतः आत्मा के स्वरूप का ज्ञान प्राप्त कर उसकी प्रत्यक्ष उपलब्धि के द्वारा अज्ञान के बंधनों से मुक्त होना ही मानव - जीवन का चरम लक्ष्य है ।   ऐसे विलक्षण ग्रंथ को सभी जागरूक सत्संगियों को संग्रहित करना चाहिए। 

मैं कौन हूँ?
मैं कौन हूँ ?

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मैं कौन हूँ?
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शंकर स्वामी जी की पांचवीं रचना

5. उपनिषद् - दर्शन

     प्रभु प्रेमियों  ! वेद सत्य ज्ञान की पुस्तक है। जो ज्ञान किसी भी देश और किसी भी काल में असत्य सिद्ध नहीं हो, वही वेद का ज्ञान है। वेद के रचयिता 'ऋषि' कहलाते हैं। 'ऋषि' का अर्थ होता है-अन्वेषण करनेवाला। वेद में जो ज्ञान है, उसे ऋषियों ने खोजा है, बनाया नहीं है। इसलिए ऋषि वेदमंत्रों के द्रष्टा कहलाते हैं, स्रष्टां नहीं। हमारे देश भारत में चार वेद हैं-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। पहले तीन ही वेद थे, अथर्ववेद पीछे अस्तित्व में आया। वेद के तीन कांड हैं- कर्मकांड, उपासनाकांड और ज्ञानकांड। वेद का अंतिम कांड 'उपनिषद्' कहलाता है। वेद का अंतिम भाग होने के कारण उपनिषद् को 'वेदान्त' भी कहते हैं। उपनिषद् में ब्रह्म, जीव और माया के संबंध में विस्तार से बतलाया गया है। उपनिषदों के ११८० होने का अनुमान लगाया जाता है; परन्तु अभी मात्र २२० ही प्राप्य हैं।

     उपनिषद् में यह भी बतलाया गया है कि मानव-जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है, उस उद्देश्य को प्राप्ति का साधन क्या है, साधन के अभ्यास में कैसी-कैसी अनुभूतियाँ होती हैं और मनुष्य के बंधन तथा मुक्ति का कारण क्या है? संसार में उत्तम जीवन जीने की कला भी उपनिषद् बतलाती है। इसका ज्ञान सर्वोच्च ज्ञान माना जाता है। इसके ज्ञान को जीवन में उतारकर जन्म-मरण के चक्र से सदा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है।

उपनिषद्-दर्शन,११८ प्रमुख उपनिषदों के ज्ञान का सार-संग्रह की अपनी भाषा में प्रस्तुति
उपनिषद्-दर्शन

     'उपनिषद्-दर्शन' में इन्होंने ११८ प्रमुख उपनिषदों के ज्ञान का सार-संग्रह अपनी भाषा में प्रस्तुत किया है। अध्यात्म-प्रेमियों के लिए यह पुस्तक बड़ी उपयोगी है। ऐसे विलक्षण ग्रंथ को सभी जागरूक सत्संगियों को संग्रहित करना चाहिए। 

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उपनिषद्-दर्शन
उपनिषद्-दर्शन



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शंकर स्वामी के अन्य साहित्य


विश्व धर्म दर्शन
विश्वधर्म दर्शन

शंकर साहित्य

1.  Vishaw  Dharm  darshan- ₹300/-



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ये सभी पुस्तकें उपलब्ध है.

लेखक की कृतियाँ


1. सन्तमत दर्शन


2. सन्तमत दर्पण


3. सुख की खोज


4. संतमत संदेश


5. उपनिषद दर्शन


6. विश्व धर्म दर्शन


7. मैं कौन हूँ?


8. संस्कार रहस्य


9. व्रत-त्यौहार रहस्य


10. योग दर्शन


11. संतमत सत्संग का इतिहास



नोट - पेमेंट करते समय अपने नाम के पास ही अपना पूरा पता पिन कोड और फोन नंबर सहित लिखें तब ही पुस्तक आपके निश्चित स्थान पर  8-10 दिन के अंदर  पहुंच पाएगी.

बिशेष--   प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त लिंक में से कहीं भी किसी प्रकार का पुस्तक खरीदने में दिक्कत हो, तो हमारे व्हाट्सएप नंबर 7547006282 पर मैसेज करें. इससे आप विदेशों में भी पुस्तक मंगा पाएंगे. कृपया कॉल भारतीय समयानुसार  दिन के 12:00 से 2:00  बजे के बीच में ही हिंदी भाषा में करें.


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संतमत के महान साधक एवं लेखक शंकर स्वामी जी महाराज के अनमोल साहित्य एवं उनका परिचय  संतमत के महान साधक एवं लेखक शंकर स्वामी जी महाराज के अनमोल साहित्य एवं उनका परिचय Reviewed by सत्संग ध्यान on दिसंबर 21, 2021 Rating: 5

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