LS04 पिंड माहिं ब्रह्मांड ।। मनुष्य शरीर में विश्व ब्रह्मांड के दर्शन और सन्त-साहित्य के पारिभाषिक शब्दें
पिंड माहिं ब्रह्मांड
सन्त-साहित्य के पारिभाषिक शब्दें
प्रभु प्रेमियों ! सन्त - साहित्य के लगभग समस्त पारिभाषिक शब्द इस पुस्तक में व्याख्यायित होकर आ गये हैं ; अनेक नये तथ्य भी उभरकर सामने आये हैं । व्याख्या आदि से अन्त तक सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी है , जो बड़ी ही संतोषजनक और सर्वत्र सबल प्रमाणों से संपुष्ट है |
पुस्तक की बातों को अच्छी तरह हृदयंगम कर लेने पर ' सत्संग - योग , चारो भाग ' , ' महर्षि मेँही - पदावली ' और अन्य संत साहित्य के मर्म को देखने - समझने की एक शेष विचार दृष्टि प्राप्त हो जाएगी । इस पुस्तक के अध्ययन से यह भी विदित हो जाएगा कि कुछ लोगों ने लौकिक भावों के वशीभूत होकर किस तरह सन्तमत के सत्स्वरूप को विकृत करने का प्रयत्न किया है और उस सत्स्वरूप को उजागर करने में गुरुदेव की कैसी भूमिका रही है ।
प्रभु प्रेमियों ! इस पुस्तक के बारे में इतनी अच्छी जानकारी प्राप्त करने के बाद हमें विश्वास है कि आप इस पुस्तक को अवश्य खरीद कर आपने मोक्ष मार्ग के अनेक कठिनाईयों को दूर करने वाला एक सबल सहायक प्राप्त करेंगे, "अंड पिंड ब्रह्मांड क्या है? ब्रह्मांड में क्या क्या चीजें हैं? ब्रह्मांड में कितने तल हैं? यूनिवर्स की उत्पत्ति कैसे हुई? ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई,कितने ब्रह्मांड है,ब्रह्मांड से क्या तात्पर्य है,ब्रह्मांड की रचना कैसे हुई,ब्रह्मांड की संरचना,ब्रह्मांड में कितने सूर्य हैं,ब्रह्मांड कितना बड़ा है,ब्रह्मांड के बाहर क्या है,ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का सिद्धांत, ब्रह्माण्ड का चित्र," इस बात की जानकारी अपने इष्ट मित्रों को भी दे दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें और आप इस ब्लॉग वेबसाइट को अवश्य सब्सक्राइब करें. जिससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना निशुल्क मिलती रहे और आप मोक्ष मार्ग पर होने वाले विभिन्न तरह के परेशानियों को दूर करने में एक और सहायक प्राप्त कर सके. नीचे के वीडियो में इस पुस्तक के बारे में और कुछ जानकारी दी गई है . उसे भी अवश्य देख लें. फिर मिलते हैं दूसरे प्रसंग के दूसरे पोस्ट में . जय गुरु महाराज
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