MS01 सत्संग योग (चारों भाग)
प्रभु प्रेमियों ! सत्संग योग (चारों भाग)- इसमें सूक्ष्म भक्ति का निरूपण वेद, शास्त्र, उपनिषद्, उत्तर- गीता, गीता, अध्यात्म-रामायण, महाभारत, संतवाणी और आधुनिक विचारकों के विचारों द्वारा किया गया है। इसके स्वाध्याय और चिन्तन-मनन से अध्यात्म-पथ के पथिकों को सत्पथ मिल जाता है। इसका प्रकाशन सर्वप्रथम 1940 ई0 में हुआ था।
सत्संग योग |
पुस्तक की महत्वपूर्ण बातें
प्रभु प्रेमियों ! सत्पुरुषों सज्जन पुरुषों - साधु - सन्तों के संग का नाम ' सत्संग ' है । इनके संग में इनकी वाणियों की ही मुख्यता होती है । ' सत्संग - योग ' के तीन भागों में इन्हीं वाणियों का समागम है । अनेक सत्पुरुषों और सन्तों के संग का प्रतिनिधि स्वरूप यह ' सत्संग - योग ' है ।
यह चार भागों में लिखा गया है ।
वेदों , उपनिषदों , श्रीमद्भगवद्गीता , श्रीमद्भागवत , अध्यात्म रामायण , शिव - संहिता , ज्ञान - संकलिनी तन्त्र , बृहत्तन्त्रसार , ब्रह्माण्ड पुराणोत्तर गीता , महाभारत और दुर्गा सप्तशती इत्यादि के मोक्ष - संबंधी सदुपदेशों का लाभ प्रथम भाग से प्राप्त होता है ।
दूसरे भाग में भगवान महावीर , भगवान बुद्ध , भगवान शंकराचार्य , महायोगी गोरखनाथजी महाराज , संत कबीर साहब , संत रैदास , सन्त कमाल साहब , गुरु नानक साहब , दादू दयाल साहब , पलटू साहब , सुन्दरदासजी महाराज , गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज , भक्तप्रवर सूरदासजी महाराज , हाथरस निवासी तुलसी साहब , राधास्वामी साहब , श्रीरामकृष्ण परमहंस , स्वामी विवेकानन्दजी महाराज , लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक , बाबा देवी साहब इत्यादि बावन सन्तों , महात्माओं और भक्तों के सदुपदेश हैं ।
तीसरे भाग में वर्तमान विद्वानों और महात्माओं के उत्तमोत्तम वचन हैं , जो ' कल्याण ' पत्र तथा अन्य ग्रन्थों से उद्धृत हैं ।
"सत्संग द्वारा श्रवण - मनन से मोक्षधर्म - सम्बन्धी मेरी जानकारी जैसी है , उसका ही वर्णन चौथे भाग में मैंने किया है । परमात्मा , ब्रह्म , ईश्वर , जीव , प्रकृति , माया , बन्ध मोक्षधर्म वा सन्तमत की उपयोगिता परमात्म भक्ति और अन्तर - साधन का सारांश साफ - साफ , समझ में आ जाय इस भाग के लिखने का हेतु यही है ।" -सत्संग सेवक 'मेंहीं'.
इस पुस्तक का हार्ड कवर संस्करण के लिए -
इसके अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध है--
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